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Wheat Price : गेहूं के दामों ने फिर तोड़े रिकॉर्ड, MSP से 21% अधिक भाव, जानिए क्या हैं वजहें

Wheat price अब मंडियों में गेहूं का रेट (Gehu Ka Taja Bhav) 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है, जबकि एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। इसका मतलब है कि गेहूं की कीमतें लगभग 21% अधिक हैं।

Wheat Price Today : पिछले एक सप्ताह में गेहूं के दाम (Gehu Ka Bhav) ऐसे भागे जैसे कोई ‘फास्ट एंड फ्यूरियस’ मूवी का सीन चल रहा हो। मंडियों में गेहूं की कीमतें हर दिन नई ऊंचाई छू रही हैं। इस समय देशभर में गेहूं के भाव (Wheat Rate Today) एमएसपी (MSP) से काफी ऊपर हैं। जहां सरकार इस पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है, वहीं यह ‘हवा हवाई’ साबित हो रही हैं।

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गेहूं के दामों में बढ़ोतरी

अब मंडियों में गेहूं का रेट (Gehu Ka Taja Bhav) 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है, जबकि एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। इसका मतलब है कि गेहूं की कीमतें लगभग 21% अधिक हैं। पिछले हफ्ते जहां रेट 2810 रुपये थे, वहीं इस सप्ताह 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी ने किसानों और व्यापारियों दोनों को चौंका दिया है।

“सरकार बोले- स्टॉक है, व्यापारी बोले- धोखा है!”

केंद्रीय कृषि मंत्रालय का कहना है कि देश में गेहूं का बंपर स्टॉक (Wheat Stock) है। परंतु व्यापारियों का दावा है कि ये बातें सिर्फ ‘पब्लिसिटी स्टंट’ हैं। अगर वास्तव में पर्याप्त स्टॉक होता तो गेहूं के रेट आसमान क्यों छूते? 2023-24 के रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 1130 लाख मीट्रिक टन से अधिक रहा था। बावजूद इसके, कीमतों में कमी नहीं आई। सरकार ने 2022 में गेहूं निर्यात (Wheat Export) पर बैन लगा दिया, लेकिन उसके बाद भी गेहूं के भाव में गिरावट नहीं हुई।

गेहूं के रेट बढ़ने के ‘देसी कारण’

गेहूं का सीजन ऑफ होने के कारण दाम बढ़े हुए हैं। हर साल दिसंबर-जनवरी में गेहूं के रेट (Gehu Ka Rate) में उछाल देखने को मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अपनी फसल को स्टॉक करके रखते हैं और ज्यादा दाम मिलने की उम्मीद में मंडी में नहीं बेचते। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। मार्च-अप्रैल में नई फसल आने तक कीमतों में कमी की संभावना नहीं है। यानी, गेहूं की ‘हाई रेट स्टोरी’ अभी कुछ महीनों तक जारी रहेगी।

गेहूं के बढ़ते दाम

एफसीआई (FCI) ने इस बार गेहूं की आपूर्ति में देरी की। इसके चलते बाजार में डिमांड और सप्लाई का संतुलन बिगड़ गया। ब्रेड और बिस्किट बनाने वाली कंपनियों ने पहले ही बंपर खरीदारी कर ली, जिससे ट्रेडर्स के पास स्टॉक खत्म हो गया। सरकार ने ट्रेडर्स के लिए स्टॉक लिमिट (Stock Limit) भी घटाई है, लेकिन इसका असर अभी तक दिख नहीं रहा है।

गेहूं की बढ़ती कीमतों का असर आम जनता पर

गेहूं के दाम बढ़ने से आटे (Flour Price), ब्रेड, बिस्किट और अन्य खाद्य वस्तुएं महंगी हो गई हैं। आम आदमी की रसोई पर इसका सीधा असर पड़ा है। ‘रोटी’ अब महंगी हो गई है और ‘बटर’ तो पहले ही बजट के बाहर था।

“सरकार के उपाय- असरदार या बेअसर?”

केंद्र ने एफसीआई के जरिए 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ई-नीलामी शुरू की है, लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी धीमी है कि इसका लाभ बाजार में अभी तक दिखाई नहीं दे रहा।

गेहूं की बिजाई और बंपर उत्पादन की संभावना

इस बार किसानों ने 320 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई (Wheat Production in India) की है, जो पिछले साल से 8 लाख हेक्टेयर अधिक है। एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी से किसान खुश हैं और उत्पादन में भी वृद्धि की उम्मीद है।

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गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण की जरूरत

देशभर में गेहूं के बढ़ते दाम (Gehu Ke Rate Today) को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक बाजार में पर्याप्त स्टॉक नहीं आएगा, तब तक कीमतों में कमी नहीं होगी।

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